पांडवारा बत्ती (पांडवों की मशाल) PANDAVARA BHATTI Plant (Pandava’s torch) The leaf that lit the Pandavas’ path through the forest. वैज्ञानिक नाम: कैलिकारपा टोमेंटोसा Scientific name: Callicarpa tomentosa परिवार: वर्बेनेसी (वर्बेना परिवार) Family: Verbenaceae (Verbena family) समानार्थी ( Synonyms): Callicarpa lobata, Callicarpa villosa, Callicarpa wallichiana बेंगलुरु: पांडवारा बत्ती (पांडवों की मशाल), एक ऐसा पौधा जिसे महाभारत के पांडवों ने अपने वनवास के दौरान चिमनी की मशाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए रखा था, हाल ही में दक्षिण भारत में एक विश्वव्यापी वैज्ञानिक मंच के सदस्य द्वारा देखा गया था । Bengaluru: Pandavara Batti (Pandavas’ torch), a plant that’s said to possess been used as a fireplace torch by the Pandavas of Mahabharata during their Vanavasa (exile), was recently spotted by a worldwide citizen scientists’ forum member in South India. यह तथाकथित है क्योंकि आप इसकी ताज़ी हरी पत्ती के साथ भी एक मशाल जला सकते हैं - पत्ती की नोक पर लगाया जा...
हिन्दू, धर्म, और जीवन पद्धति पढने में समय: 3 मिनट काफी समय से यह चर्चा और तर्क का मुद्दा बना हुआ है कि ‘हिन्दू’ या ‘हिंदुत्व’ एक ‘धर्म’ है अथवा एक ‘जीवन पद्धति’ है? तर्क का विषय इसलिए अधिक बन जाता है क्यों कि इन शब्दों के ठीक – ठीक अर्थ कम लोग समझते हैं । इसे समझने के लिए हमें इन तीनों शब्दों को समझना आवश्यक है : 1. हिन्दू 2. धर्म,और 3. जीवन पद्धति। 1. हिन्दू : यहां हिन्दू से तात्पर्य ‘वैदिक सनातन धर्म’ से है। कालांतर से वैदिक सनातन धर्म को ही ‘हिन्दू धर्म’ नाम से संबोधित किया गया और सनातन धर्मी हिन्दू कहलाये। मात्र नाम बदलने से गुण-धर्म कैसे बदल जायेगा? नाम में आप कुछ भी कह लीजिये। रंगी को ‘नारंगी’ कहे, नकद माल को ‘खोया’। चलती को ‘गाड़ी’ कहे, दास कबीरा रोया ।। हिन्दू भावना या हिन्दू होने का भाव ‘हिन्दुत्व’ कहलाता है। 2. धर्म : धर्म को समझने से पहले स्पष्ट कर दें कि ‘धर्म’ और अंग्रेजी भाषा के ‘Religion’ दोनों अलग – अलग अर्थ वाले शब्द हैं। अंग्रेजी में Religion का अर्थ मत, पंथ या सम्प्रदाय है। जबकि ‘धर्म’ का अर्थ इससे कहीं अधिक व्यापक है। धर्म एक संस्कृत शब्द है।...
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। अर्थ : "सङ्कुचित मानसिकता वाले व्यक्तियों के लिये अपने व पराये का भेद रहता है। परन्तु जो उदार वृत्ति रखते है, उनके लिये तो सम्पूर्ण वसुन्धरा ही अपने कुटुम्ब के समान है।"
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