First Ever World Map in MAHABHARAT

महाभारत के श्लोक के आधार पर पहले विश्व मानचित्र का वर्णन किया गया था

महाभारत से श्लोक:


सुदर्शनं वाचक्ष्यामि द्वीपं ते कुरुन्दन |  
परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः || १२ ||
यथा च पुरुष: पश्येदादर्श मुखमात्मन: | 
सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले || १५ ||
द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान || १६.१ ||  - भीष्मपर्व, महाभारतम्

अर्थ - "जैसे पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है, उसी प्रकार यह द्वीप (पृथ्वी) चन्द्रमण्ड- ल में दिखाई देता है। इसके दो अंशों में पिप्पल (पीपल के पत्ते) और दो अंशों में महान शश (खरगोश) दिखाई देता है।"

जैसे मनुष्य दर्पण में अपना चेहरा देखता है, वैसे ही पृथ्वी ब्रह्मांड में दिखाई देती है। पहले चरण में, आपको पीपल के पत्ते और अगले चरण में आपको एक खरगोश दिखाई देता है।

Map1: 

इस नक्शे का अनुवाद महाभारत के एक श्लोक से किया गया था जहाँ धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा कि अंतरिक्ष से दुनिया कैसी दिखती है। 
वह कहते हैं कि यह दो पीपल के पत्तों की तरह है और एक खरगोश है।
इसे ऋषि रामानुजाचार्य ने बनाया था। 
इस विचार पर सभी लोग हँसे।  


Map2: 

मैप को उल्टा करें।

संजय ने अपनी दिव्य द्रुष्टि के माध्यम से धृतराष्ट्र को बताया।
और ऋषि रामानुजाचार्य ने अपने 'ज्ञान चक्षु' के माध्यम से इसकी कल्पना की और स्केच किया !!!  


Map1: This map was translated from a verse in Mahabharata where Dhrithrashtra asks Sanjay, how the world looks like from space.
He says it is like two peepal leaves joined and a rabbit.
It was made by sage Ramanujacharya.
Everyone laughed at this idea.


Map2: Turn map upside down.
Sanjaya through his divya drushti told Dhritarashtra.
And Sage Ramanujacharya through his 'gyana chakshu' visualized it and sketched it !!!

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