सुविचार
अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम् ।
अमृतं राहते मृत्युर्विषं शंकरभूषणम् ॥
अर्थ : "समर्थ मनुष्य के लिये साधारण वस्तु भी आभूषण हो जाती है, जबकि नीच के लिये सुन्दर भी दोषरूप बन जाती है ।अमृत राहू के लिये प्राणहारी बन गया जबकी प्राणहारीविष भी शिव के लिये भूषण बन गया।"
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