सुविचार

न तत् परस्य समादध्यात् प्रतिकूलं यदात्मन: ।
एष सामासिको धर्म: कामादन्य प्रवर्तते ॥


अर्थ : "हमें दूसरो के प्रति ऐसा कुछ नहीं करना चाहिये, जो यदि हमारे प्रति किया जाय, तो हमें अप्रिय लगे । यही धर्म का सार है, शेष सारा बर्ताव तो स्वार्थपूर्ण इच्छाओं से प्रेरित होता है।"

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