सुविचार
नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।
विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता॥
- महाकविमाघः
अर्थ : "सिंह को अरण्य का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई अभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार। अपने गुण और पराक्रम से वह स्वयं ही 'मृगेन्द्रपद' प्राप्त करता है।"
ખૂબ સરસ
ReplyDelete