स्वस्ति


ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।


मन्त्र अर्थ -

" महती कीर्ति वाले ऐश्वर्यशाली इन्द्र हमारा कल्याण करें, जिसको संसार का विज्ञान और जिसका सब पदार्थों में स्मरण है, सबके पोषणकर्ता वे पूषा (सूर्य) हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें। "

Mantra Translation - 

May Indra who is provided with great speed do well to us, May Pushan who is the knower of the world do good to us and May Tarkshya who devastates enemies do good to us! May Brihaspati, the Lord of the Vedic knowledge or speech give us spiritual delight got from the light of knowledge and wisdom.

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