सुविचार

विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम् ।।

अर्थ : " "विद्या" मनुष्य को 'नम्रता' देती है, और नम्रता से 'योग्यता', योग्यता से 'धन', धन से 'धर्म', फिर धर्म  से 'सुख' पाता है। "

- हितोपदेशः -> नारायणपण्डितः

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