सुविचार

यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया ।
चित्ते वाचि क्रियायां च महतामेकरूपता ।।

अर्थ : " महान मनुष्यों के मन, वाणी और क्रिया में कभी भी अंतर नहीं होता। जैसे उनके विचार वैसे ही वचन और वैसा आचरण भी होता है। "

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