सुविचार

क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी।
विद्या कामदुघा धेनु सन्तोषो नन्दनं वनम्॥

अर्थ : " क्रोध यमराज के समान है। लालच नरक की अशांत नदी की तरह है। ज्ञान कामधेनु गाय है (सभी इच्छाओं को पूरा करती है) और संतोष स्वर्ग का भी स्वर्ग है। "

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